ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
‘‘भारत हमारा देश है।
हम सब भारतवासी भाई बहन है।
हमें अपना देश प्राणों से भी प्यारा है।
इसकी समृद्धि और विविध संस्कृति पर हमें गर्व है हम इसके सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न सदा करते रहेंगे।
हम अपने माता-पिता, शिक्षकों एवं गुरूजनों का सदा आदर करेंगे तथा सब के साथ शिष्टता का व्यवहार करेंगे।
हम अपने देश और देशवासियों के प्रति सदैव निष्ठावान रहने की प्रतिज्ञा करते है।
उनके कल्याण एवं समृद्धि में ही हमारा सुख निहित है।‘‘