श्री नारायण आश्रम बालिका इण्टर कालेज प्रयागराज के श्री नारायण आश्रम, शिवकोटि में पतित पावनी पुण्य सलिला भागीराथी के दाहिने तट पर स्थित हैं। यह कालेज सरकार द्वारा मान्यात प्राप्त है, यह जनपद की श्रेष्ठानुशासित संस्था है। इसकी स्थापना अनंत विभूषित श्री नारायण महाप्रभु जी की अनुकम्पा से 21 दिसम्बर 1978 को पूज्य श्री 1008 श्री निर्मल नारायण महाराज जी के कर कमलों द्वारा किया गया वर्तमान पीठाधीर पूज्य श्री 1008 श्री गिरधर नारायण महाराज जी के संरक्षण में विद्यालय उत्तारोत्तर विकास के पथ पर अग्रसर है। हम अपने विद्यार्थियों को सभ्य, शिष्ट, सत्यवादी, दयालु एवं सदाचारी बनाने का प्रयत्न करते है ताकि वे श्रेष्ठ नागरिक बनकर परिवार, समाज तथा देश की सेवा कर सके। इसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए पूज्य महाराज जी कृत संकल्प है।
नाना प्रकार के पेड़ पौधों से युक्त विद्यालय प्रांगण छात्र-छात्राओं को खेलने-कूदने की भी पर्याप्त सुविधा प्रदान करता है। इसका उन्मुक्त एवं सुन्दर प्राकृतिक वातावरण उनके स्वस्थ विकास के लिए अत्यन्त अनुकूल है।
विद्यालय में गर्ल्स गाइड, शारीरिक शिक्षा, विज्ञान शिक्षा खेलकूद प्रतियोगिताये, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा शिक्षक / अविभावक संघ आदि की व्यवस्था पूर्ण रूपेण है।
विद्यालय विशेषताओं के कारण यह विद्यालय निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
शिक्षा न केवल एक लक्ष्य है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। एक अच्छा शिक्षक जीवन में सही मार्गदर्शन देकर किसी भी बच्चे को आदर्श बना सकता है। हमारे विद्यालय ने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए अवसर प्रदान किए हैं और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए ख्याति प्राप्त की है। परीक्षा परिणामों, सुविधाओं, नवीनतम शिक्षण विधियों और शिक्षकों के प्रशिक्षण में लगातार सुधार के कारण हमारा विद्यालय शीर्ष पर स्थापित हुआ है।
एक सशक्त शिक्षा प्रणाली ही एक रचनात्मक समाज की नींव होती है। पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो छात्रों की समझ, कौशल, और सृजनात्मक एवं विश्लेषणात्मक क्षमताओं का विकास करे। शिक्षकों का मुख्य उद्देश्य छात्रों को सकारात्मक सोच के साथ एक बेहतर इंसान बनाना और उन्हें राष्ट्र निर्माण में भाग लेने के योग्य बनाना है। हमारे विद्यालय में कुशल और प्रतिबद्ध शिक्षकों की कोई कमी नहीं है, जो नए अवसरों, चुनौतियों और जिम्मेदारियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। हमारे विद्यालय के बोर्ड परीक्षा परिणाम हर साल श्रेष्ठ होते हैं। विषयगत ज्ञान के साथ-साथ खेल, वाद-विवाद, नृत्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बाल मेला, विज्ञान मेला आदि प्रतियोगिताओं में भी छात्रों की सक्रिय भागीदारी उन्हें भविष्य के लिए प्रेरित करती है।
यह बात स्पष्ट है कि शिक्षा के माध्यम से हम न केवल व्यक्तिगत विकास करते हैं, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा दे सकते हैं। हमारे विद्यालय ने इस दिशा में निरंतर प्रयास किए हैं। शिक्षण अधिगम में नवीनतम तरीकों का उपयोग, छात्रों की जरूरतों के अनुसार ढाँचागत सुविधाओं का विस्तार, और परीक्षा परिणामों में लगातार सुधार ने हमारे विद्यालय को विशेष स्थान दिलाया है।
हमारे विद्यालय के शिक्षकों का समर्पण और उनकी निरंतर सीखने की प्रवृत्ति ने विद्यालय को शैक्षणिक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर किया है। ये शिक्षक अपने विद्यार्थियों को न केवल पाठ्यक्रम की शिक्षा देते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों, नैतिकता, और समाज में अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी करते हैं। वे बच्चों में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, और एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करते हैं, जो उनके भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
विद्यालय में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताएँ, और विज्ञान मेलों ने छात्रों को अपनी प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने का मौका दिया है। ये कार्यक्रम न केवल उनके शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होते हैं, बल्कि उनमें सहयोग, अनुशासन, और प्रतिस्पर्धा की भावना भी पैदा करते हैं।
हमारा विद्यालय छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है, और इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रहा है ताकि हमारे छात्र न केवल अकादमिक क्षेत्र में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें। शिक्षकों, छात्रों, और अभिभावकों के सहयोग से हम अपने विद्यालय को एक आदर्श शिक्षण संस्थान बनाने की दिशा में निरंतर अग्रसर हैं।
यह सच है कि अतीत से लेकर वर्तमान तक, मानव जीवन को सुन्दर, सुगम और चुनौतीपूर्ण बनाने में नारियों का योगदान अद्वितीय रहा है। पितृसत्तात्मक समाज ने इस योगदान का सही मूल्यांकन करने में असफलता दिखाई है। संवेदना, प्राकृतिक प्रेम, सौन्दर्यानुभूति जैसे कई गुणों का समन्वय नारी के व्यक्तित्व और कार्यों में देखा जा सकता है। यदि इनका सही आकलन किया जाए, तो निस्संदेह कहा जा सकता है कि "नारी" सृष्टि की सर्वोत्तम रचना है।
आज का युग स्त्री जागरण का युग है। भारत के सर्वोच्च पद, राष्ट्रपति का पद भी एक स्त्री ने सुशोभित किया है। भारतीय महिलाओं ने अंतरिक्ष उड़ान, अंटार्कटिका और ज्वालामुखी की खोज, राफ्टिंग, सेना, और मैनेजमेंट जैसे जटिल और साहसिक क्षेत्रों में भी अपनी जगह बनाई है। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं ने अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। भारत में अनगिनत महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से पहचान बनाई है। अरुंधति राय, किरण बेदी, चंदा कोचर, मैरीकॉम, और सुनीता नारायण जैसी महिलाएं अपने क्षेत्र में मिसाल बन चुकी हैं। आशा है कि विद्यालय की छात्राएं भी अपनी प्रतिभा को निखारकर अपना एक मजबूत अस्तित्व स्थापित करेंगी और समाज में एक नई पहचान बनाएंगी।
नारी शक्ति का योगदान केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने समाज के निर्माण और विकास में भी अहम भूमिका निभाई है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू, और कस्तूरबा गांधी जैसी नारियों का साहस और नेतृत्व आज भी प्रेरणादायक है। उन्होंने न केवल समाज में अपनी जगह बनाई, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया।
आधुनिक समय में भी महिलाओं ने शिक्षा, विज्ञान, खेल, और कला जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त की है। वे केवल परिवार की धुरी नहीं हैं, बल्कि समाज की रीढ़ भी हैं। महिलाओं ने दिखाया है कि जब उन्हें समान अवसर मिलते हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं।
हमारे विद्यालय की छात्राएं भी इन महान नारियों के पदचिह्नों पर चलकर अपनी पहचान बना सकती हैं। विद्यालय का वातावरण और शिक्षकों का मार्गदर्शन उन्हें न केवल अकादमिक ज्ञान देने में सक्षम है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक उत्तरदायित्व का विकास भी करता है।
हर छात्रा में अपार संभावनाएं छिपी होती हैं, और आवश्यकता है कि वे अपनी प्रतिभा को पहचानें और उसे निखारें। आज की लड़कियां कल की महिलाएं होंगी, जो समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम होंगी। उनकी सफलता न केवल उनकी अपनी होगी, बल्कि पूरे समाज की होगी, क्योंकि एक शिक्षित और सशक्त महिला पूरे परिवार और समाज को सशक्त बनाती है।
इसलिए, हम आशा करते हैं कि विद्यालय की छात्राएं शिक्षा के क्षेत्र में, और जीवन के हर क्षेत्र में, अपनी मेहनत और समर्पण से सफलता प्राप्त करेंगी और समाज में एक नई मिसाल कायम करेंगी।